Goa Cab Policy: गोवा सरकार ने राज्य में ऐप आधारित टैक्सी और बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए बड़ा कदम उठाया है। 20 मई को मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा 67 के तहत सरकार ने कैब एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। इसका उद्देश्य राज्य में ओला-उबर जैसे डिजिटल ट्रांसपोर्ट प्लेटफॉर्म्स को कानूनी और व्यवस्थित रूप से संचालित करना है। जनता से इस पर 19 जून तक सुझाव मांगे गए हैं।
कौन बन सकता है कैब एग्रीगेटर? : Goa Cab Policy
Goa Cab Policy: कैब एग्रीगेटर वही कंपनी बन सकती है जो भारतीय कानूनों के तहत रजिस्टर्ड हो। अगर हेड ऑफिस गोवा के बाहर है तो राज्य में एक शाखा खोलना अनिवार्य होगा। इसके लिए ₹5 लाख लाइसेंस फीस और ₹10 लाख की रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करनी होगी। लाइसेंस की वैधता तीन साल की होगी और परिवहन विभाग को 60 कार्यदिवसों में आवेदन प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
यदि कंपनी का मालिकाना हक या पता बदलता है तो फिर से आवेदन करना होगा और नई फीस चुकानी होगी। हालांकि सरकार ने यह नहीं बताया कि वह नए और छोटे खिलाड़ियों की वित्तीय और परिचालन योग्यता का आकलन कैसे करेगी।
ड्राइवरों और भुगतान को लेकर कड़े नियम : Goa Cab Policy
केवल उन्हीं ड्राइवरों को जोड़ा जा सकेगा जिनके पास PSV (Public Service Vehicle) बैज हो और जिनकी गाड़ी के पास गोवा का वैध परमिट हो। एग्रीगेटर को हर ड्राइवर के साथ लिखित अनुबंध करना होगा और सभी विवादों को गोवा की अदालतों में ही निपटाना होगा।
गाइडलाइंस के अनुसार, ड्राइवर को यात्रा समाप्त होने के 72 घंटे के भीतर भुगतान करना अनिवार्य है। विलंब की स्थिति में एग्रीगेटर को प्रति दिन 25% ब्याज देना होगा। हालांकि, यह निगरानी कैसे होगी, इस पर सरकार ने कुछ नहीं कहा है।
डाटा स्टोरेज और ड्राइवरों की स्वतंत्रता
कंपनियों को सभी ऑपरेशनल डाटा भारत में कम से कम तीन साल तक स्टोर करना होगा। उन्हें डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, IT एक्ट 2000 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 का पालन करना होगा।
एग्रीगेटर ड्राइवरों को अन्य प्लेटफॉर्म्स पर रजिस्टर होने से रोक नहीं सकते, ना ही उन्हें किसी प्रकार से हतोत्साहित कर सकते हैं। लेकिन इसका अनुपालन कैसे जांचा जाएगा, इस पर भी ड्राफ्ट चुप है।
महिला ड्राइवरों के लिए खास लाभ
राज्य सरकार महिलाओं को ई-वाहन खरीदने पर सब्सिडी देगी। ई-कार के लिए ₹1 लाख और टू-व्हीलर या ई-रिक्शा के लिए ₹20,000 दिए जाएंगे। 50% राशि एडवांस में, बाकी 500 ट्रिप पूरे करने के बाद मिलेगी।
हर ड्राइवर को ₹10 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। महिलाओं के लिए यह बीमा माता-पिता और बच्चों को भी कवर करेगा। यदि किसी कंपनी के बेड़े में 20% से ज्यादा महिला ड्राइवर हों, तो उसे लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क नहीं देना होगा। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि महिला ड्राइवरों को ट्रेनिंग या लोन कैसे मिलेगा।
शिकायतों का समाधान : Goa Cab Policy
परिवहन विभाग ग्रेवान्स रिड्रेसल कमेटी बनाएगा, जिसकी अध्यक्षता ट्रांसपोर्ट डायरेक्टर करेंगे। इसमें दो अतिरिक्त निदेशक भी शामिल होंगे। यह कमेटी लाइसेंस, किराया विवाद, ड्राइवर शिकायतों और अनुपालन से जुड़ी शिकायतों की जांच करेगी।
हर एग्रीगेटर को अपने ऐप में 48 घंटे के भीतर शिकायत सुलझाने वाला सिस्टम देना होगा। लेकिन सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि यह समयसीमा मान्य हो – इस पर भी कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं।
महाराष्ट्र से कैसे अलग है गोवा की नीति?
- महाराष्ट्र में एग्रीगेटर को किराए का 20% रखने की अनुमति है,जबकि गोवा में पूरे किराए की राशि ड्राइवर को देना अनिवार्य है।
- महाराष्ट्र में सर्ज प्राइसिंग 1.5x तक और डिस्काउंट 25% तक सीमित हैं। गोवा में ऐसी कोई सीमा नहीं है, बस सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर ही भुगतान करना होगा।
- महाराष्ट्र में कैंसलेशन पेनल्टी लागू है, जबकि गोवा में यह नहीं है।
- डेटा नियमों के मामले में गोवा काफी सख्त है – डेटा लोकलाइजेशन और DPDP Act का स्पष्ट उल्लेख है, जबकि महाराष्ट्र में सिर्फ IT एक्ट लागू होता है।
क्यों ज़रूरी है Goa Cab Policy
Goa Cab Policy: गोवा में लंबे समय से ऐप-आधारित सेवाओं को लोकल टैक्सी यूनियनों के विरोध के कारण विस्तार नहीं मिल पाया था। अब यह ड्राफ्ट ऐप-बेस्ड सेवाओं को वैधानिक और सुरक्षित रास्ता दे रहा है।
लेकिन कागज पर बने नियम तब तक असरदार नहीं होंगे जब तक उन पर अमल न हो। ड्राइवर भुगतान, डेटा निगरानी और शिकायत समाधान की निगरानी के लिए कोई ठोस व्यवस्था का अभाव दिखता है।
पिछले विवादों की पृष्ठभूमि
जनवरी में एक Reddit यूज़र ने आरोप लगाया था कि उसे 66 किमी की यात्रा के लिए ₹3,000 चुकाने पड़े क्योंकि यूनियन से जुड़े ड्राइवरों ने सस्ता कैब रोक दिया। GoaMiles के ड्राइवरों को परेशान करने की घटनाएं भी सामने आईं।
अप्रैल में टैक्सी यूनियनों ने एक स्थानीय व्यक्ति पर “टैक्सी माफिया” कहने पर मानहानि की शिकायत की और विरोध की धमकी दी।
अब आगे क्या?
यह गाइडलाइन ऐप-बेस्ड सेवाओं को गोवा में प्रवेश का रास्ता देती है। लेकिन यह देखना बाकी है कि ये नियम वास्तव में प्रतिस्पर्धा लाएंगे या मौजूदा ताकतवर यूनियनों के सामने बेमानी साबित होंगे। फैसला 19 जून के बाद होगा, जब सुझावों के आधार पर अंतिम नियम तय किए जाएंगे।
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