Vyomika singh News: आतंकियों ने जब पहलगाम (pahalgam) में हमला किया तब मारते समय सबसे उनके धर्म के बारे में पूछने लगे और जो हिंदू था उन्हें मार दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर एकजुट होने की मानो बाढ़ सी आ गई हो। सब कहने लगे की अब हम एक हैं और वो भी ‘hindu’ लेकिन कुछ दिन बाद ही पहलगाम के जवाबी हमलें में जब इंडिया ने पाकिस्तान पर हमला किया तो उस ऑपरेशन का नाम रखा ‘सिंदूर’ और इसको लीड करने के लिए वैश्विक पटल पर भारत ने दो महिलाओं को भेजा पहली कर्नल सोफिया कुरैशी और दूसरी हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह (Vyomika Singh)। लेकिन लोगों की मानसिकता देखिए की इंटरनेट पर कमांडर व्योमिका की जाति ढूंढी जाने लगी है और ये वही लोग हैं जो धर्म के नाम पर मारे जाने पर हो हल्ला कर रहे थे।

कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह? : Vyomika singh
विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना की एक अनुभवी और कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं। वे लखनऊ की मूल निवासी हैं और वर्तमान में अपने पति विंग कमांडर दिनेश सिंह सभ्रवाल के साथ गुरुग्राम में रहती हैं। उनकी ससुराल हरियाणा के भिवानी जिले के बापोड़ा गांव में है, जो अपने सैन्य इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
व्योमिका सिंह ने 2004 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया था और 2017 में वे विंग कमांडर बनीं। उन्होंने चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टरों को दुर्गम इलाकों में उड़ाया और उनके पास 2,500 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है।
ऑपरेशन सिंदूर क्या था? Operation Sindoor
ऑपरेशन सिंदूर एक गुप्त सैन्य मिशन था जो भारतीय सेना और वायुसेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पास चलाया गया। यह मिशन हालिया आतंकी गतिविधियों के जवाब में था। इस ऑपरेशन का उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों में आतंकी ठिकानों को खत्म करना था।
ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका
विंग कमांडर व्योमिका सिंह हाल ही में उस समय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा में आईं जब उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई, ऑपरेशन सिंदूर, की जानकारी देने वाली प्रेस ब्रीफिंग में हिस्सा लिया।
यह ब्रीफिंग नई दिल्ली में विदेश सचिव विक्रम मिसरी और कर्नल सोफिया कुरैशी के साथ हुई, जहाँ व्योमिका सिंह आत्मविश्वास से खड़ी नज़र आईं। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को जवाब देने के लिए किया गया था।

Vyomika Singh की रणनीतिक भागीदारी
व्योमिका सिंह इस मिशन की प्रमुख एरियल यूनिट की लीडर थीं। उन्होंने मिशन की प्लानिंग, एयर मूवमेंट और सुरक्षा को बखूबी अंजाम दिया। उनके नेतृत्व में यूनिट ने दुश्मन के क्षेत्र में सटीक कार्रवाई की और बिना किसी जान-माल की हानि के सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।
परिवार का सहयोग और भूमिका
उनके पिता सरकारी सेवा में रहे हैं और माँ एक शिक्षित गृहिणी हैं। परिवार में कभी लिंग या जाति के आधार पर सीमाएँ नहीं रखी गईं। व्योमिका को शुरू से ही आत्मनिर्भर और मजबूत बनने के लिए प्रेरित किया गया, जिसका प्रभाव उनके आज के व्यक्तित्व में स्पष्ट दिखाई देता है।
Vyomika Singh Caste – क्या है सच्चाई?
सोशल मीडिया पर जाति को लेकर विवाद
जब से विंग कमांडर व्योमिका सिंह चर्चा में आई हैं, सोशल मीडिया पर उनकी जाति को लेकर विभिन्न दावे किए जा रहे हैं। कुछ पोस्ट्स में उन्हें दलित समुदाय की बताया गया है, जबकि कुछ रिपोर्ट्स में उन्हें ठाकुर (राजपूत) जाति से जोड़ा गया है। हालांकि कुछ वीडियो को मद्देनजर रखते हुए इनको रविदासिया समुदाय यानी चमार जाति से देखा जा रहा है।
सभ्रवाल उपनाम और पारिवारिक पृष्ठभूमि
व्योमिका सिंह के पति का उपनाम “सभ्रवाल” है, जो आमतौर पर पंजाबी खत्री या सवर्ण जातियों में पाया जाता है। वहीं, कुछ पोस्ट्स में व्योमिका सिंह को दलित समुदाय की प्रतिनिधि बताया गया है, जिससे उनके जातिगत पहचान पर बहस और तेज हो गई है।
कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं
महत्वपूर्ण बात यह है कि अब तक किसी भी सरकारी या विश्वसनीय मीडिया स्रोत ने उनकी जाति को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। भारतीय सेना और वायुसेना में जाति नहीं बल्कि योग्यता, कर्तव्य और राष्ट्रसेवा को प्राथमिकता दी जाती है।
बापोड़ा गांव – फौजियों की धरती
व्योमिका सिंह की ससुराल हरियाणा के बापोड़ा गांव में है, जिसे ‘फौजियों का गांव’ कहा जाता है। यहाँ लगभग 2,000 से अधिक सैनिक और पूर्व सैनिक हैं। इस गांव से पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह सहित कई वीर सपूत निकल चुके हैं।
गांव के स्वागत द्वार पर 1971 युद्ध में इस्तेमाल हुआ टी-55 टैंक इस गांव की वीरगाथा को दर्शाता है। यह भी दिखाता है कि व्योमिका सिंह ऐसी विरासत से जुड़ी हैं जहाँ देशसेवा जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
बचपन में ही देखा था सपना
लखनऊ की ही तनुष्का सिंह भी भारतीय वायुसेना में फाइटर जेट पायलट बनी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि लखनऊ की बेटियाँ अब देश की सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। व्योमिका सिंह ने बताया था कि उनके नाम का अर्थ ही ‘आकाश की स्वामिनी’ है और बचपन से उन्होंने पायलट बनने का सपना देखा था।
Vyomika Singh Caste से ऊपर है उनका योगदान
जाति चाहे जो भी हो, व्योमिका सिंह ने यह साबित कर दिया है कि राष्ट्रसेवा में सबसे महत्वपूर्ण होता है समर्पण, साहस और कर्म। Vyomika Singh Caste को लेकर विवाद भले ही चल रहा हो, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और नेतृत्व हर भारतीय के लिए गर्व का विषय हैं।
उनका जीवन उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो सीमाओं से परे जाकर देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहती हैं।
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