---Advertisement---

One Nation One Election: क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी ‘एक देश एक चुनाव’, जानिए आसान भाषा में

One Nation One Election: मोदी सरकार ने इस बिल को कैबिनेट में पास कर दिया है और अब इसे संसद में पेश किया गया है. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं.
By
Last updated:
Follow Us

One Nation One Election: मंगलवार को संसद में “एक देश, एक चुनाव” बिल पेश किया गया. मोदी सरकार ने इस बिल को कैबिनेट में मंजूरी दी थी और अब इसे संसद में लाया गया है. सरकार इसे पास कराने के लिए हर संभव कोशिश करेगी. यह बिल अब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा, जहां इस पर चर्चा और सहमति बनाने का काम होगा.

One Nation One Election बिल के पास होने पर देशभर में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकेंगे. इससे चुनावों पर होने वाला खर्च कम होगा और प्रशासनिक बोझ भी घटेगा. फिलहाल, लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे कई तरह की दिक्कतें होती हैं. अगर चुनाव एक साथ होंगे, तो चुनाव का खर्च एक बार में ही हो जाएगा, जिससे काफी पैसा और समय बचेगा. जनता को बार-बार मतदान के लिए नहीं जाना पड़ेगा और प्रशासन का ध्यान विकास कार्यों पर ज्यादा रहेगा. इस बदलाव से न केवल जनता को फायदा होगा, बल्कि देश के लिए भी यह एक लाभकारी कदम साबित होगा. खैर इस पर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बनना काफी चुनौतीपूर्ण लग रहा है. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं.

क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’? : One Nation One Election

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब है कि पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं. इसके साथ ही, स्थानीय निकाय चुनाव भी 100 दिनों के अंदर कराए जाने का सुझाव दिया गया है.

आजादी के शुरुआती दौर में, जैसे 1952, 1957, 1962 और 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे. लेकिन बाद में राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता और विधानसभाओं के असमय भंग होने की वजह से यह परंपरा टूट गई. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं.

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के फायदे : One Nation One Election

1. पैसे और संसाधनों की बचत: बार-बार चुनाव होने से सरकारी खर्च बढ़ता है. एक साथ चुनाव कराने से जनता के टैक्स का पैसा और संसाधन दोनों बचेंगे.

2. प्रशासनिक दबाव कम होगा: बार-बार चुनाव कराने से सुरक्षा बलों और सरकारी अधिकारियों पर भारी दबाव पड़ता है. एक साथ चुनाव कराने से यह दबाव घट जाएगा.

3. ज्यादा वोटिंग होगी: बार-बार चुनाव होने से लोग वोट डालने में दिलचस्पी नहीं लेते. लेकिन एक साथ चुनाव होने से मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है.

4. नीतिगत स्थिरता: बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुक जाते हैं. एक साथ चुनाव से इस समस्या का समाधान हो सकता है.

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर विपक्ष की चिंताएं : One Nation One Election

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर कई सवाल उठाए हैं. उनकी चिंताएं इस प्रकार हैं:

1. संघीय ढांचे पर असर: विपक्ष का मानना है कि यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है.

2. क्षेत्रीय दलों को नुकसान: विपक्ष का कहना है कि एक साथ चुनाव से राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो जाएंगे और क्षेत्रीय पार्टियों के मुद्दे पीछे छूट सकते हैं.

3. संविधान में बड़े बदलाव की जरूरत: इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा और इसके लिए राज्यों की सहमति जरूरी है.

4. लोकतांत्रिक संतुलन का खतरा: विपक्ष का कहना है कि यह कदम देश को बहुदलीय व्यवस्था से हटाकर एकदलीय शासन की ओर ले जा सकता है.

5. विधानसभाओं का कार्यकाल खत्म करना होगा: जिन विधानसभाओं का कार्यकाल बाकी है, उन्हें भंग करना पड़ेगा.

6. संसाधनों की जरूरत: इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराने के लिए बड़ी संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की जरूरत होगी.

One Nation One Election से बढ़ सकती हैं लोकसभा की सीटें

एक और मुद्दा यह है कि अगर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) लागू किया जाता है, तो इसके लिए परिसीमन करना जरूरी होगा. फिलहाल, 2026 तक लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाने पर रोक है. लेकिन 2027 की जनगणना के बाद सीटों का पुनर्निर्धारण हो सकता है. इससे लोकसभा की सीटें 543 से बढ़कर 750 तक हो सकती हैं.

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का विचार आर्थिक और प्रशासनिक नजरिए से फायदेमंद हो सकता है. लेकिन इसे लागू करने के लिए संविधान में बड़े बदलाव और राज्यों की सहमति जरूरी है. इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती है. अब देखना होगा कि यह प्रस्ताव देश की राजनीति में क्या बदलाव लाएगा.

ये भी पढ़ें: नवाब मंशूर अली ने दान में दिया 52 बीघा जमीन और बनवाया हनुमानगढ़ी मंदिर, जानिये हनुमानगढ़ी का इतिहास

For Feedback - upwalelog5@gmail.com
Follow us on Facebook

Related News

Leave a Comment