एक देश एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जिससे देश में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ करवाने की राह आसान हो गई है। 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। गठित कमेटी ने 191 दिनों तक विभिन्न विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की थी। जिसके आधार पर 18,626 पन्नों की एक रिपोर्ट 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। कमेटी का सुझाव है कि देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाया जाए। जिससे लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।
रामनाथ कोविंद कमेटी का सुझाव
सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया जाए।
हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बचे हुए कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जा सकते हैं।
लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जाने के 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी के चुनाव कराए जा सकते हैं।
चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सिंगल वोटर लिस्ट तैयार करेगा।
कानून बनाने के लिए जुटाना होगा संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद एनडीए सरकार को कानून बनाने के लिए संसद में संविधान संशोधन बिल लाना होगा। संविधान संशोधन के लिए लाए गए इस बिल को पास कराने के लिए संसद के दोनो सदनो से दो तिहाई सदस्यों का समर्थन आवश्यक होगा। लोकसभा में इसे पास करने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा में 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी है।
क्या है एक देश एक चुनाव
वर्तमान समय में देश में लोकसभा चुनाव और राज्यों में विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। एक देश एक चुनाव पर कानून बनने के बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। जिससे मतदाता एक साथ लोकसभा और विधानसभा के सदस्यों का चुनाव कर सकेंगे।
देश के स्वतंत्रता के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। 1968 के बाद कई विधानसभा व 1970 में लोकसभा समय से पहले भंग कर दी गई थी। जिसके बाद एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।