Varanasi: “हे मां, दर्शन दो” कहकर पुजारी ने काट दी खुद की गर्दन, अंधविश्वास में बलि देकर तड़पकर तोड़ा दम

Varanasi में एक पुजारी ने काली माता के दर्शन के लिए दे दी ख़ुद की बलि. जानिये क्या है पूरा मामला.
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Varanasi: माँ के दर्शन के लिए दे दी ख़ुद की बलि

Varanasi news: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां गायघाट इलाके में रहने वाले एक पुजारी ने मां काली को प्रसन्न करने के लिए अपनी ही गर्दन काटकर बलि दे दी. यह मामला अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की भयावह सच्चाई को उजागर करता है.

जयकारा लगाकर काट दी गर्दन

varanasi के गायघाट में रहने वाले पुजारी अमित शर्मा रोज की तरह अपने घर में मां काली की पूजा कर रहे थे. पूजा के दौरान वह जोर-जोर से “जय मां काली” के जयकारे लगाने लगे. तभी उन्होंने मां से दर्शन देने की प्रार्थना की और अचानक चाकू उठाकर अपनी ही गर्दन काट ली.

चीख सुनते ही किचन में मौजूद उनकी पत्नी भागकर कमरे में आईं. वहां का दृश्य बेहद खौफनाक था. पुजारी लहूलुहान जमीन पर पड़े थे. घबराई पत्नी ने पड़ोसियों की मदद से उन्हें तुरंत मंडलीय अस्पताल पहुंचाया, लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया.

varanasi में पुजारी के साथ टूरिस्ट गाइड

अमित शर्मा, अपनी पत्नी और एक बेटे के साथ varanasi के गायघाट इलाके में किराए के मकान में रहते थे. वह मंदिरों में पूजा-पाठ करने के अलावा पर्यटकों को भी घुमाते थे. वह वाराणसी के मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताते और लोगों का मार्गदर्शन करते थे.

मकान मालिक सूरजपाल मेहरा के मुताबिक, पुजारी अमित काफी साधारण जीवन जीते थे. वह रोज सुबह मंदिर जाते और दोपहर में घर लौटकर शाम को फिर काम पर निकल जाते थे. मकान मालिक ने बताया कि घटना के दिन कमरे से चीखने की आवाज आई तो उन्होंने सोचा कि कोई बंदर हमला कर रहा है. लेकिन जब अंदर पहुंचे, तो सबके होश उड़ गए.

अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की वजह से मौत?

स्थानीय लोगों का मानना है कि पुजारी तंत्र-मंत्र में भी रुचि रखते थे. वह मां काली की पूजा करते-करते उनके दर्शन पाने के लिए भावनाओं में बह गए और अपनी जान ले ली. पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है.

मकान मालिक और पड़ोसियों की प्रतिक्रिया

मकान मालिक ने बताया कि पुजारी का अपनी पत्नी या किसी और से कोई विवाद नहीं था. वह शांत स्वभाव के थे और हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे. उनके इस कदम से सभी हैरान हैं.

अंधविश्वास की जड़ें इस सदी में भी

यह घटना अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की गहरी पकड़ को दिखाती है. ऐसे मामलों में लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है, ताकि धार्मिक आस्था और अंधविश्वास के बीच का फर्क समझा जा सके.

अंत में सोचने वाली बात

वाराणसी जैसे धार्मिक शहर में जहां पूजा-पाठ और आस्था हर कोने में देखी जाती है, वहां इस तरह की घटना हमारी मानसिकता पर सवाल खड़े करती है. धर्म का उद्देश्य आत्मा की शांति है, लेकिन जब आस्था अंधविश्वास में बदल जाए, तो यह विनाशकारी हो सकता है.

नरबलि और आत्महत्या की इस भयावह घटना से हमें सीख लेनी चाहिए कि अपनी धार्मिक मान्यताओं में विवेक का स्थान हमेशा बनाए रखें.

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