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History of Hanumangarhi Ayodhya: नवाब मंशूर अली ने दान में दिया 52 बीघा जमीन और बनवाया हनुमानगढ़ी मंदिर, जानिये हनुमानगढ़ी का इतिहास

Hanumangarhi: अयोध्या का हनुमानगढ़ी मंदिर अपने आप में इतिहास को संजोए हुए है. मंदिर का निर्माण नवाब मंशूर अली ने अपने जमीन पर करवाया था. आइए जानते हैं नवाब साहब ने क्यों करवाया मंदिर का निर्माण और क्या है इसके पीछे का इतिहास.
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Hanumangarhi Ayodhya: हनुमानगढ़ी, अयोध्या में स्थित भगवान हनुमान का प्रमुख मंदिर है, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि वैष्णव परंपरा का पालन करने वाले भक्तों के लिए एक आदर्श स्थल है. यह मंदिर भगवान हनुमान की भक्ति का एक प्रमुख केंद्र है, जहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.

यह स्थान लगभग 52 बीघा भूमि में फैला हुआ है और यहां 500 साधु-संत भगवान हनुमान की सेवा में तत्पर रहते हैं. हनुमानगढ़ी में चार प्रमुख छावनियां हैं, जो 12 वर्गों में विभाजित हैं. यहां हर छावनी में साधु-संतों की दिनचर्या भगवान की सेवा, ध्यान और भजन में व्यतीत होती है.

नवाब साहब और हनुमानगढ़ी (hanumangarhi) की जमीन

हनुमानगढ़ी (hanumangarhi) का इतिहास हमें 18वीं शताब्दी में ले जाता है, जब नवाब मंसूर अली खान ने इसे ताम्रपत्र पर दान स्वरूप दिया. कहा जाता है कि उनके पुत्र की गंभीर बीमारी का इलाज बाबा अभयरामदास जी के आशीर्वाद से हुआ. इसके बाद नवाब ने भगवान हनुमान के लिए इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया. यह घटना हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का एक सुंदर उदाहरण है.

हनुमानगढ़ी तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. मंदिर के शिखर पर पहुंचने पर जो दिव्यता का अनुभव होता है, वह हर भक्त के मन को शांत कर देता है. यहां भगवान हनुमान को बाल रूप में विराजमान दिखाया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का स्रोत है.

राममंदिर बनने में हनुमानगढ़ी (Hanumangarhi) का योगदान

हनुमानगढ़ी (hanumangarhi) का इतिहास रामजन्मभूमि आंदोलन से भी गहराई से जुड़ा हुआ है. महंत अभयरामदास, महंत धर्मदास और महंत ज्ञानदास जैसे संतों ने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई. 1949 में जब रामलला का प्राकट्य हुआ, तो महंत अभयराम दास ने श्री रामलला को हटने नहीं दिया और उनके शिष्य रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए संघर्षरत रहे.

इस मंदिर ने हिंदू समाज को न केवल धार्मिक रूप से प्रेरित किया, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक बदलाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान हनुमानगढ़ी संतों का मुख्यालय बना, जहां से आंदोलन की रणनीतियां तैयार की गईं. तब से लेकर ना जाने कितनी बार आंदोलन हुआ और साथ ही इतिहास में भी दर्ज हुआ. उसी इतिहास को लेकर आज राम मंदिर बना और सनातन धर्म में श्रद्धा भाव फिर से जाग उठी.

हनुमानगढ़ी (Hanumangarhi) में भक्तों का उल्लास

राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ हनुमानगढ़ी का भी नवीनीकरण किया जा रहा है. यहां भक्तों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद हनुमानगढ़ी का दौरा किया और मंदिर की महिमा को सराहा.

हनुमानगढ़ी का महत्व केवल धार्मिक नहीं है; यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है. यह मंदिर हर भक्त को भक्ति, शक्ति और साहस की प्रेरणा देता है.

हनुमानगढ़ी के साधु-संत और आध्यात्मिक ऊर्जा

हनुमानगढ़ी के साधु-संतों ने न केवल हनुमान जी की सेवा की है, बल्कि वे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं. उनकी भक्ति और संघर्ष की भावना ने न केवल रामजन्मभूमि आंदोलन को सफल बनाया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक नई दिशा दी.

यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. साधु-संतों की भक्ति, यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा और मंदिर का शांत वातावरण, हर व्यक्ति के मन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार करता है.

Hanumangarhi
Hanumangarhi mandir ayodhya

विशेष जानकारी
1. हनुमानगढ़ी का महत्व: यह मंदिर केवल हनुमान जी का निवास स्थान नहीं है, बल्कि यहां रामायण काल की गाथाओं को भी जीवंत रूप में महसूस किया जा सकता है.
2. मंदिर की परंपराएं: यहां हर दिन भगवान हनुमान की विशेष पूजा होती है. मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है.
3. सांस्कृतिक महत्व: हनुमानगढ़ी सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है.

हनुमानगढ़ी केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और आध्यात्मिकता का संगम है. यह स्थान हर भक्त को भगवान हनुमान की अनंत भक्ति के साथ-साथ संतों के संघर्ष और त्याग की कहानियों से प्रेरित करता है. अयोध्या आने वाला हर व्यक्ति इस मंदिर के दर्शन के बिना अपनी यात्रा को अधूरी मानता है.
ये रिपोर्ट हमने zee न्यूज के आर्टिकल से तैयार किया है

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