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History Of Bijnor: वो जिला जहाँ से गंगा जी करती हैं यूपी में प्रवेश, जानिये बिजनौर जिले का इतिहास और क्यों है ये ख़ास

Bijnor: बिजनौर, जो उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है, हिमालय की तलहटी में बसा एक ऐसा शहर है ...
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Bijnor: बिजनौर, जो उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है, हिमालय की तलहटी में बसा एक ऐसा शहर है जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है. यह शहर प्राचीन काल से ही धार्मिक, पौराणिक और प्राकृतिक धरोहरों का केंद्र रहा है. यहां महाभारत काल के महात्मा विदुर की कुटी, राजा दुष्यंत और शकुंतला का प्रेम स्थल (गंगा और मालन नदी का संगम), और ऋषि कण्व का आश्रम जैसे पौराणिक स्थल स्थित हैं.

पुराने समय में बिजनौर को ‘नगीना’ कहा जाता था. 1817 में मुरादाबाद जिले के एक हिस्से को अलग करके इसे नगीना जिला बनाया गया, लेकिन बाद में इसका नाम बिजनौर पड़ा. आज यह शहर छोटे-बड़े उद्योगों का केंद्र है, जैसे पाइप निर्माण, चीनी मिल, रबर फैक्ट्री, स्टील उद्योग, आईटी उद्योग, और ऑटोमोबाइल उद्योग.

बिजनौर (Bijnor) का प्राचीन इतिहास

बिजनौर का इतिहास रामायण काल तक जाता है. वाल्मीकि रामायण में इस क्षेत्र को “प्रलंब” और “उत्तर कारापथ” के नाम से उल्लेखित किया गया है. इसे शेषावतार लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु के शासनकाल का हिस्सा माना जाता है. उस समय यह इलाका बिजनौर से लेकर श्रीनगर गढ़वाल तक फैला हुआ था. इस क्षेत्र पर महाभारत काल से लेकर बुद्धकाल और फिर मध्यकाल तक अनेक राजाओं और साम्राज्यों का शासन रहा.

महाभारत और महाजनपद काल

महाभारत काल में भी बिजनौर का बड़ा महत्व था. यह क्षेत्र महाजनपद काल के दौरान फला-फूला और बाद में बुद्धकालीन भारत में भी प्रसिद्ध रहा. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहां मंडावर (जिसे उस समय मतिपुरा कहा जाता था) में छह महीने बिताए थे. इसके बाद यह इलाका राजपूत राजाओं के अधिकार में आ गया.

सल्तनत और मुगल काल में बिजनौर : Bijnor

मध्यकाल में, बिजनौर “कटेहर क्षेत्र” के नाम से प्रसिद्ध था. पृथ्वीराज चौहान और जयचंद की पराजय के बाद यह दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य का हिस्सा रहा. इस समय इसे ‘कटेहर क्षेत्र’ कहा जाता था. सुल्तान इल्तुतमिश ने यहां विद्रोहियों का दमन किया और मंडावर में एक मस्जिद बनवाई, जो आज भी मौजूद है.

औरंगजेब के शासनकाल में यहां अफगानों का अधिकार हो गया. ये अफगान ‘रोह’ क्षेत्र से आए थे और इन्हें ‘रोहेला’ कहा जाता था. इनके शासनकाल में यह क्षेत्र रुहेलखंड के नाम से जाना गया. नजीबुद्दौला, एक प्रसिद्ध रोहेला शासक, ने पत्थरगढ़ के किले को अपनी राजधानी बनाया. उसके नाम पर ही पास का क्षेत्र ‘नजीबाबाद’ कहलाने लगा.

1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बिजनौर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यहाँ के गाँव पैजनियां में क्रांतिकारियों जैसे चंद्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक़ उल्लाह खां ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई का संचालन किया. प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी चौधरी शिवचरण सिंह त्यागी और उनके सहयोगियों ने इस क्षेत्र को क्रांति का केंद्र बनाया.

Bijnor का साहित्यिक योगदान

बिजनौर का साहित्यिक इतिहास अत्यंत समृद्ध है. संस्कृत के कालिदास ने अपनी प्रसिद्ध रचना “अभिज्ञान शाकुंतलम” के लिए इस क्षेत्र की मालिनी नदी का वर्णन किया. उर्दू साहित्य में इस जिले ने कई दिग्गज दिए, जैसे कि मिर्ज़ा ग़ालिब के उस्ताद क़ायम चाँदपुरी, निश्तर खानकाही, और कौसर चांदपुरी. हिंदी ग़ज़ल के बादशाह दुष्यंत कुमार भी इसी धरती के सपूत हैं.
आधुनिक साहित्यकारों में महेंद्र अश्क, अमन कुमार त्यागी और फिल्म जगत के लेखक विशाल भारद्वाज जैसे नाम शामिल हैं. “द गेम्स ऑफ लाइफ” जैसी प्रेरणादायक कृति के लेखक हिमांकर अजनबी ने भी बिजनौर का नाम रोशन किया है.

Bijnor
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बिजनौर की प्रसिद्ध हस्तियां : Famous People from Bijnor
• विशाल भारद्वाज: मशहूर फिल्म निर्माता.
• दुष्यंत कुमार: हिंदी ग़ज़लकार.
• चौधरी चरण सिंह: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री.
• महेंद्र अश्क: उर्दू के प्रसिद्ध कवि.

संस्कृति और समाज
बिजनौर विभिन्न जातियों, धर्मों और परंपराओं का संगम है. हिंदू, मुसलमान, सिख, और जैन समुदाय यहां भाईचारे के साथ रहते हैं. यहां की मुख्य भाषा हिंदी है, लेकिन उर्दू और पंजाबी का भी प्रभाव देखा जा सकता है.

बिजनौर में अर्थव्यवस्था: कृषि और उद्योग का संगम

बिजनौर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. यहाँ की प्रमुख फसलें गन्ना, गेहूँ, चावल और मूँगफली हैं. जिले का लगभग 33% हिस्सा कृषि कार्य में लगा हुआ है.

उद्योग और व्यापार
• कृषि आधारित उद्योग:
• गन्ने से चीनी और गुड़ का उत्पादन.
• चावल मिलें और अनाज प्रसंस्करण इकाइयाँ.
• काष्ठ उद्योग:
• नजीबाबाद और धामपुर के क्षेत्रों में लकड़ी से संबंधित उद्योग.
• हथकरघा और चर्म उद्योग:
• नहटौर और अन्य क्षेत्रों में हस्तनिर्मित कपड़े और चमड़े के उत्पाद.

बिजनौर से जुड़े रोचक तथ्य : Bijnor Facts

1. गंगा का प्रवेश: गंगा नदी उत्तर प्रदेश में सबसे पहले बिजनौर जिले से प्रवेश करती है. यह स्थान आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.
2. विदुर कुटी: बिजनौर (Bijnor) में स्थित विदुर कुटी महाभारत कालीन स्थल है. कहा जाता है कि महात्मा विदुर ने यहीं पर अपने जीवन का लंबा समय तपस्या में बिताया था.
3. कण्व आश्रम: गंगा किनारे स्थित कण्व ऋषि का आश्रम भी बिजनौर की धरोहर है. यह वह स्थान है जहां राजा दुष्यंत और शकुंतला का मिलन हुआ था.
4. पत्थरगढ़ किला: नजीबाबाद के पास स्थित यह किला रोहेला शासक नजीबुद्दौला द्वारा बनवाया गया था और इसे उनकी राजधानी के रूप में उपयोग किया गया.
5. बुद्धकालीन इतिहास: चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहां छह महीने बिताए थे और इसे प्राचीन भारत के शिक्षा और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक बताया.
6. मंडावर मस्जिद: मंडावर में सुल्तान इल्तुतमिश द्वारा बनवाई गई मस्जिद आज भी उनके शासनकाल की याद दिलाती है.
7. प्राकृतिक सुंदरता: बिजनौर (Bijnor) के पास मालन नदी और बान नदी का संगम एक खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है.
8. रुहेलखंड का हिस्सा: मुगल काल में यह क्षेत्र रुहेलखंड का हिस्सा था, जिसे अफगान रोहेलों ने बसाया था.
9. ऐतिहासिक नाम: बिजनौर को पहले ‘नगीना’ के नाम से जाना जाता था.
10. उद्योगों का केंद्र: बिजनौर आज भी चीनी मिलों, रबर फैक्ट्रियों, और अन्य छोटे-बड़े उद्योगों के लिए जाना जाता है.
11. वन्यजीव अभयारण्य: जिले में स्थित हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है.
12. प्रसिद्ध मंदिर और मेले: बिजनौर के आस-पास कई प्राचीन मंदिर हैं, जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
13. उद्योग: चीनी उद्योग और रबर फैक्ट्रियां यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं.
14. शिक्षा: बिजनौर के प्राचीन काल के ऐतिहासिक स्थल आज भी छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक अध्ययन का विषय हैं.

बिजनौर न केवल इतिहास और संस्कृति का केंद्र है, बल्कि यह एक प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक भारत की विरासत को संभालता आ रहा है. इसकी भूमि महाकाव्यों और पौराणिक कथाओं की साक्षी रही है.

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