पिछले साल 1 नवंबर 2023 को IIT BHU में एक छात्रा से गैंगरेप किया गया और इस घटना के बाद छात्रों ने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। तब जाकर 3 आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया। उसमें भी अब गैंगरेप के दो आरोपी कुणाल पांडे और अभिषेक चौहान इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ गए हैं। तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत अर्जी पर सुनवाई चल रही है। वहीं इसके विरोध में प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए उनको विश्वविद्यालय से ही निलंबित करने का नोटिस दे दिया। इसके साथ ही कई सवाल अब खड़े होते हैं कि क्या अब किसी पीड़ित के लिए आवाज उठाना भी गुनाह है?
दरसअल, IIT BHU rape कांड के बाद NSUI और AISA के छात्र बीएचयू के सिंह द्वार पर प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शन के दौरान रेप कांड को लेकर पॉलिटिकल बयानबाजी भी हुई। जिसके बाद मामला गर्मा गया और फिर वहीं बीएचयू के सिंह द्वार पर ही आइसा, NSUI के छात्रों से एबीवीपी के स्टूडेंट्स भीड़ गए. इस घटना में ABVP की मेघा मुखर्जी समेत कई स्टूडेंट्स घायल हुए. जिसके बाद इस मामले में बनारस के ही लंका थाने एफआईआर भी दर्ज हुई थी.
330 दिन में रेप के आरोपी हुए बाहर और छात्रों पर हुई कार्रवाई
सिंह द्वार पर हुए घटना के बाद ABVP की छात्रा मेघा मुखर्जी ने लंका थाने में रिपोर्ट लिखवायी।जिसके तक़रीबन 330 दिन बाद अब 13 स्टूडेंट्स को निलंबित किया गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी ऑर्डर के मुताबिक इस मामले में आकांक्षा, इप्शिता, चंदा यादव, उमेश यादव, अनुरति, सिद्धि, अमित और अमन को 30 दिन के लिए निलंबित किया गया है.
छात्रों ने लगाया एकतरफा कार्रवाई का आरोप
सिंह द्वार पर छात्रों के बीच हुए झड़प में दोनों तरफ़ के छात्रों को चोटें आयीं लेकिन AISA के छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करी है। जिस से छात्रों में नाराज़गी देखने को मिली। इसके साथ ही IIT BHU ने इन छात्रों के लिए काउंसलिंग कराने का फैसला लिया है।
IIT BHU रेप कांड के आरोपी जेल से बाहर तो हम पर कार्रवाई क्यों
विश्वविद्यालय में जिन छात्र-छात्राओं को निलंबित किया गया है कि उनका कहना है कि यह कार्रवाई उन छात्रों के खिलाफ की गई है जिन्होंने मौजूदा सरकार की नीतियों से असहमति रखा और उन्हें ग़लत बताया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय कैंपस में हमेशा समाज या अन्य जरूरी सवालों पर मुखर रहे हैं। उनका कहना है कि सामूहिक दुष्कर्म के तीन आरोपियों में से जब दो आरोपी जेल से बाहर आ गए हैं, तब ये कार्रवाई हम पर ही क्यों करी गई जबकि हमारे साथियों को भी चोटें आई थीं।
इसके साथ ही छात्र संगठनों ने एक पैम्पलेट भी जारी किया जिसमें सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को घेरते हुए नजर आए।
